एकादशी व्रत हो संसद में 

अब तो एकादशी व्रत हो संसद में तभी यह आह मिट सकेगी। इसके पहले दिन बाबा नागनाथ से लेकर स्वामी सानंद तक अकाल मौत का शिकार हुए सभी गंगापुत्रों की मौत का मातम मनाया जाय। उसके बाद दस दिनों तक पानी और किसानी के संकट को संबोधित किया जाय। इस अभियान के समर्थकों ने सांसदों को दलीय राजनीति की सीमाओं से उपर उठकर इस मुद्दे पर आम सहमति कायम करने का प्रयास शुरू किया है।